हुनर का दरिया है हम. …. जिस तरफ मुँह
करले …. रास्ते बन जाते है ।।।
Tag: शर्म शायरी
मेरे करीब आते है
मै जानता हूँ वा कयाें ऱूठ जाते है,
वाे ईस तरीके से भी मेरे करीब आते है..!!
तू बदल गई है।
तेरी तलाश में निकलू भी तो कैसे…तू बदल गई है।बिछड़ी होती तो और बात थी।।
मैं जब किसी
मैं जब किसी गरीब को हँसते हुए देखता हूँ तो
यकीन आ जाता है कि खुशियो का ताल्लुक दौलत से नहीं है..
बीतता वक़्त
बीतता वक़्त है
लेकिन,
खर्च हम हो जाते हैं ।
ताल्लुक हो तो
ताल्लुक हो तो रूह से रूह का हो …
दिल तो अकसर
एक दूसरे से भर जाया करते है
ज़िन्दिगी बन जाती हैं.
दो परिंदे सोंच समझ कर जुदा हो गयें और जुदा होकर मर
गयें जानते हो क्यों? क्योंकि उन्हे नहीं मालूम था
कि नज़दीकियाँ पहले आदत फिर ज़रूरत और फिर
ज़िन्दिगी बन जाती हैं.।
याद मत आओ
खनक उठें न पलकों पर कहीं जलते हुए आँसू,, तुम इतना याद मत आओ के सन्नाटा दुहाई दे..!
अब यादें है
कुछ ख्वाब देखे,फिर ख्वाहिश बनी,अब यादें है…
बिगङी तकदीरें..
तमाम ठोकरें खाने के बाद, ये अहसास हुआ मुझे..
कुछ नहीं कहती हाथों की लकीरें,खुद बनानी पङती हैं बिगङी तकदीरें..