खुदा से मिलती है सूरत मेरे महबूब की,
अपनी तो मोहब्बत भी हो जाती है और इबादत भी|
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
खुदा से मिलती है सूरत मेरे महबूब की,
अपनी तो मोहब्बत भी हो जाती है और इबादत भी|
एक ही समानता है पतंग औऱ जिन्दगी मॆं..
ऊँचाई में हो तब तक ही वाह-वाह होती हैं!!
सुनो…
तुम्हारी दो बाहें मेरी जमीं…
तुम्हारी दो आँखें मेरा आसमान…
ज़िंदगी के ये सवालात कहाँ थे पहले,
इतने उलझे हुए हालात कहाँ थे पहले..
सबको हँसता ही देखना चाहता हूँ मैं,
किसी को धोखे से भी रुलाना मेरी आदत नहीं।।
हुस्न वाले जब तोड़ते हैं दिल किसी का,
बड़ी सादगी से कहते है मजबूर थे हम।।
ना जाने कौनसी दवा है उसके पास,
कुछ पल साथ गुजार लूं तो सुकून सा मिलता है।।
अजीब पैमाना है यहाँ शायरी की परख का,
जिसका जितना दर्द बुरा,शायरी उतनी ही अच्छी।।
ज़रूरत लगती नही मुझको तेरी तारीफ़ करने की,
मैं ही तो लाया हूँ लाखों मे तुम्हें चुनके।।
महक जाती है मेरी रूह,
ये सुन के कही करीब ही है तू।।