ऐ दिल वो आशिक़ी के फ़साने किधर गए
वो उम्र क्या हुई वो ज़माने किधर गए
Tag: शर्म शायरी
इश्क हुआ और मेरा खुदा
नजर…नमाज…नजरिया सब कुछ बदल गया…
एक रोज इश्क हुआ और मेरा खुदा बदल गया…!
मुझ को है
मुझ को है एतराफ दुआओं में है असर
जाएँ न अर्श पर जो दुआएं तो क्या करे
तेरे पास जो है
तेरे पास जो है उसमें सबर कर,
उसकी कदर कर दीवाने…
यहाँ तो आसमां के पास भी
खुद की ज़मीन नहीं………….
राह भूल जाता हूँ
एक जंगल है तेरी आँखों में
मैं जहाँ राह भूल जाता हूँ
इंसान इतना डरपोक है
कमाल है ना,
इंसान इतना डरपोक है की सपनो में भी डर जाता है..और
इतना निडर है की जब जागता है तो भगवान् से भी नहीं डरता है !!
रिश्तों का बोलबाला
कोई है बेटा, कोई भाई, कोई साला है
सियासी खेल में रिश्तों का बोलबाला है
ज़रुरत से भी
कहीं है इतना अँधेरा कि कुछ नहीं दिखता
कहीं ज़ियादा ज़रुरत से भी उजाला है
मोहब्बत का बोल बाला
वो दर जहां कि मोहब्बत का बोल-बाला है
मिरी नज़र में वो मस्जिद है, वो शिवाला है
तुम ही हो..
सांसे बस दिखाने के लिये लेता हूं
वरना जिंदगी तो मेरी तुम ही हो..