कोई सिखा दे

कोई सिखा दे हमें भी वादों से मुकर जाना बहुत थक गये हैं,निभाते निभाते.

ज़रा तल्ख़ लहज़े में

ज़रा तल्ख़ लहज़े में बात कर ज़रा बेरुख़ी से पेश आ, मैं इसी नज़र से तबाह हुआ हू मुझे देख न यूँ प्यार से…

तुम बदले तो

तुम बदले तो मज़बूरिया थी , हम बदले तो बेवफा हो गए ……

मेरे नज़दीक आके

मेरे नज़दीक आके देख तेरे एहसास की शिद्दत, मेरा दिल कितना धड़कता है तेरे नाम के साथ…!!

अजब मुकाम पे

अजब मुकाम पे ठहरा हुआ है काफिला जिंदगी का, सुकून ढूढनें चले थे, नींद ही गवा बैठा है|

कम्बखत ये तेरी याद

रिश्वत भी नहीं लेती जान छोड़ने की….. कम्बखत ये तेरी याद बहोत ईमानदार लगती है……

दुनिया कितनी ही

दुनिया कितनी ही आगे बढ़ जाए मगर वो छुप छुप के मिलने वाली मोहब्बत का मजा ही कुछ और था..!!

जिंदगी की दौड़ में

जिंदगी की दौड़ में, तजुर्बा कच्चा रह गया. हम ना सीख पाये फरेब, दिल बच्चा ही रह गया…!!

ज़र ही हादसे का

ज़र ही हादसे का अजीबो गरीब था, वो आग से जल गया जो नदी के करीब था..

इक लफ्ज़ थी

इक लफ्ज़ थी मैं आधा अधूरा सा… तुझ से जुडा और कहानी बन गई…

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