हम तो नादाँ है

हम तो नादाँ है क्या समझेंगे

मोहब्बत के उसूलो को

हमे इश्क है तुमसे बैपनाह, हमे चाहने से मतलब है|

अजीब ओ गरीब

मेरी ‘जिद्द ‘ भी कुछ अजीब ओ गरीब सी है ।

कहती है ..तुम मुझसे ‘नफरत’ करो पर गैरों से’मोहब्बत’ नही

मैं भूल सा गया हूँ

मैं भूल सा गया हूँ तुम्हारे बारे में लिखना आजकल
सुकून से तुम्हें पढ़ सकूँ इतना भी वक्त नहीं देती है ये जिंदगी

ना जाने कैसे

ना जाने कैसे इम्तेहान ले रही है..
जिँदगी आजकल
मुक्दर, मोहब्बत और दोस्त तीनो नाराज रहते है…..