बिना मतलब के दिलासे भी नहीं मिलते यहाँ ,
लोग दिल में भी दिमाग लिए फिरते हैं !
Tag: शर्म शायरी
भले थे तो
भले थे तो किसी ने हाल त़क नहीं पूछा,
बुरे बनते ही देखा हर तरफ अपने ही चरचे हैं !!!
लोग उतनें ही
जितनी भीड़ , बढ़ रही ज़माने में ।
लोग उतनें ही, अकेले होते जा रहे हैं…!
ज़िन्दगी एक सफ़र
ज़िन्दगी एक सफ़र है,आराम से चलते रहो
उतार-चढ़ाव तो आते रहेंगें, बस गियर बदलते रहो
सफर का मजा लेना
सफर का मजा लेना हो तो साथ में सामान कम रखिए
और
जिंदगी का मजा लेना हैं तो दिल में अरमान कम रखिए !!
तज़ुर्बा है मेरा
तज़ुर्बा है मेरा…. मिट्टी की पकड़ मजबुत होती है,
संगमरमर पर तो हमने …..पाँव फिसलते देखे हैं…!
मेरे लफ्ज़ों को
मेरे लफ्ज़ों को सुनने के लिए भी तरसेगी वो
मै उससे इतना दूर निकल आया हूँ !!
बहुत शौक था
पहले तो बहुत शौक था तुम्हें हाल पूछने का,
अब क्या हुआ तुम वो नहीं रहे या वक्त वो नही रहा…
इतिहास होता है
लोग अकसर उस जगाह
पे जाते हे जहा पे इतिहास होता है ,मगर हम तो जहा भी जाते हे वहा इतिहास
बना के आते है
बदलने की अपेक्षा
यदि शांति चाहते हो कभी दूसरों को बदलने की अपेक्षा मत रखो…
स्वंय बदलो, जैसे कंकर से बचने के लिए स्वंय जूते पहनना उचित है
न कि पूरी धरती पर कारपेट बिछाने की…