हल निकलेगा

कोशिश कर, हल निकलेगा
आज नही तो, कल निकलेगा।

अर्जुन के तीर सा सध,
मरूस्थल से भी जल निकलेगा।

मेहनत कर, पौधो को पानी दे,
बंजर जमीन से भी फल निकलेगा।

ताकत जुटा, हिम्मत को आग दे,
फौलाद का भी बल निकलेगा।

जिन्दा रख, दिल में उम्मीदों को,
गरल के समन्दर से भी गंगाजल निकलेगा।

कोशिशें जारी रख कुछ कर गुजरने की,
जो है आज थमा थमा सा, चल निकलेगा।

हथेली छोटी थी

पहले भी हथेली छोटी थी, अब भी ये हथेली छोटी है…
कल इससे शक्कर गिर जाती थी, अब इससे दवा गिर जाती है !!

यों ही बदनाम

लोग यों ही बदनाम करते हैं ज़रूरतमंदों को,
हमने अक्सर अमीरों को गरीबो की मेहनत चुराते देखा हैं।

तेरे दिल मे

कोई तो बात हैं तेरे दिल मे, जो इतनी गहरी हैं कि…
तेरी हँसी, तेरी आँखों तक नहीं पहुँचती…

दिन मेँ रौशनदान

उसने अपनी झोपड़ी का छप्पर कुछ इस प्रकार खोल रखा है…
कि यही दिन मेँ रौशनदान और रात मेँ उसका पंखा है…

ना दिल से होता है

ना दिल से होता है, ना दिमाग से होता है;
ये प्यार तो इत्तेफ़ाक़ से होता है;

पर प्यार करके प्यार ही मिले;
ये इत्तेफ़ाक़ भी किसी-किसी के साथ होता है।