हौंसला तुझ में न था मुझसे जुदा होने का;
वरना काजल तेरी आँखों का न यूँ फैला होता।
Tag: शर्म शायरी
आईना के सामने
आईना के सामने आने से वो डरते है
जो ताउम्र सच कहने का दम भरते हैं दर्पण
बस इतनी दाद देना
बस इतनी दाद देना बाद मेरे मेरी उल्फत की,
कि याद आऊँ तो अपने आपको प्यार कर लेना।
पिघल सा जाता हूँ
पिघल सा जाता हूँ तेरी तस्वीर देख कर
जरा छू कर बता ना कहीं मैं मोम तो नहीं..
कुछ तुम कोरे कोरे से
कुछ तुम कोरे कोरे से, कुछ हम सादे सादे से…
एक आसमां पर जैसे, दो चाँद आधे आधे से….!!!
ग़लत को हम ग़लत कहते
ग़लत को हम ग़लत कहते इसी कहने की कोशिश में
सियासत ने अंधेरों में हमारी हर ख़ुशी रख दी ।
अगर मालूम होता
अगर मालूम होता की इतना तडपता है इश्क, तो दिल जोड़ने से पहले हाथ जोड़ लेते..
हो सके तो
हो सके तो दिलों में रहना सीखो,
गुरुर में तो हर कोई रहता है…
न रुकी वक्त की गर्दिश
न रुकी वक्त की गर्दिश और न जमाना बदला,
पेड़ सुखा तो परिंदों ने ठिकाना बदला !!
सियाही फैल गयी
सियाही फैल गयी पहले, फिर लफ्ज़ गले,
और एक एक कर के डूब गए..