हम वो नहीं जो आप हमें समझते है ……
हम वो है जो आप समझ ही नहीं पाते है …….
Tag: शर्म शायरी
उसे भी सरबुलंदी पर
उसे भी सरबुलंदी पर हमेशा नाज़ रहता है,
हमें भी आसमानों को ज़मीं करने की आदत है !
दिलों में रहता हूँ
दिलों में रहता हूँ धड़कने थमा देता हूँ
मैं इश्क़ हूँ,
वजूद की धज्जियां उड़ा देता हूँ
अब सजा दे ही चुके
अब सजा दे ही चुके हो तो हाल ना पूछना मैं अगर बेगुनाह निकला तो तुम्हें अफसोस बहुत होगा..
उस ने हँस कर
उस ने हँस कर हाथ छुड़ाया है अपना…
आज जुदा हो जाने में आसानी है ..
तेरे मुस्कुराने का असर
तेरे मुस्कुराने का असर सेहत पे होता है,
लोग पूछ लेते है..दवा का नाम क्या है..!!
मंजिल मिल ही जायेगी
मंजिल मिल ही जायेगी, भटकते हुए ही सही..
गुमराह तो वो हैं, जो घर से निकले ही नहीं।
लिखते है सदा
लिखते है सदा उन्ही के लिए,जिन्होने हमे कभी पढा नही…!
माफ़ी चाहता हूँ
माफ़ी चाहता हूँ गुनाहगार हूँ तेरा ऐ दिल…!!
तुझे उसके हवाले किया जिसे तेरी कदर नहीं…
तुम भी अब मुझको
तुम भी अब मुझको झेल रहे हो ना
सच कहना तुम भी खेल रहे हो ना