दर्द आसानी से कब ‘पहलू’ बदल के निकला
आँख का तिनका बहुत आँख ‘मसल’ के निकला..
Tag: शर्म शायरी
ऐसा तो कभी हुआ नहीं
ऐसा तो कभी हुआ नहीं,
गले भी मिले, और छुआ नहीं!
दरवाजे पर लिखा था..
दरवाजे पर लिखा था…मुझे बुलाना मत, मैं बहुत दुखी हूँ
सच्चा मित्र अंदर जाकर बोला…मुझे पढ़ना नहीं आता है।।
ये ना पूछ कि
ये ना पूछ कि शिकायतें कितनी हैं तुझसे, ऐ जिंदगी,
सिर्फ ये बता कि कोई और सितम बाकी तो नहीं?
मुद्दत के बाद
मुद्दत के बाद उसने जो आवाज दी मुझे…
कदमों की क्या बिसात, साँसें ही थम गयी…!!!
ज़िन्दगी सुन तू यही
ज़िन्दगी सुन तू यही पे रुकना…!!
हम हालात बदल के आते है….
एक ही समानता है
एक ही समानता है पतंग औऱ जिंदगी में..
ऊँचाई में हो तब तक ही वाह-वाह होती है.
दो चार नहीं
दो चार नहीं मुझे सिर्फ एक दिखा दो……
वो शख्स जो अन्दर भी बाहर जैसा हो
मेरे न हो सको तो
मेरे न हो सको तो कुछ ऐसा कर दो,
मैं जैसा था मुझे फिर से वैसा कर दो !!
हम इश्क के
हम इश्क के फ़कीर प्यारे
छीनकर ले जायेंगे…
दिल की धड़कने तुम्हारी