इस शहर में

इस शहर में मज़दूर जैसा दर-बदर कोई नहीं..
जिसने सबके घर बनाये उसका घर कोई नहीं..

मेरे मरने पर

मेरे मरने पर किसी को ज़यादा फर्क ना पड़ेगा..
बस एक तन्हाई रोएगी की मेरा हमसफ़र चला गया..