अंधों को दर्पण क्या देना, बहरों को भजन सुनाना क्या.?
जो रक्त पान करते उनको, गंगा का नीर पिलाना क्या.?
Tag: शर्म शायरी
मुस्कुराने पे शुरू हो
मुस्कुराने पे शुरू हो और रुलाने पे ख़त्म हो जाए,ये वही ज़ुल्म है जिसे लोग, मोहब्बत कहते हैं……
लंबी बातों से
लंबी बातों से मुझे कोई मतलब नहीं है,मुझको तो उनका जी कहना भी कमाल लगता है|
कोई नही आएगा
कोई नही आएगा मेरी जिदंगी मे
तुम्हारे सिवा,
एक मौत ही है जिसका मैं
वादा नही करता…….. ।।
सस्ता सा कोई
सस्ता सा कोई इलाज़ बता दो इस मोह्ब्बत का ..!
एक गरीब इश्क़ कर बैठा है इस महंगाई के दौर मैं….
लोग कहते हैं..
लोग कहते हैं…
नफ़रत ख़राब चीज़ है..!
तो मोहब्बत ने कौनसा झूला झुलाया है मुझे..!!
तेरी चाहत में
तेरी चाहत में रुसवा यूं सरे बाज़ार हो गये,
हमने ही दिल खोया…और हम ही गुनाहगार हो गये।
किश्तों में खुदकुशी
किश्तों में खुदकुशी कर रही है ये जिन्दगी…
इंतज़ार तेरा…मुझे पूरा मरने भी नहीं देता ।
क्या पूछता है
क्या पूछता है हम से तू ऐ शोख़ सितमगर,
जो तू ने किए हम पे सितम कह नहीं सकते…
बहुत बदल गया हूँ
क्या है जो बदल गई है दुनिया
मैं भी तो बहुत बदल गया हूँ|