साँसों का टूट जाना तो दस्तूर है…
कुदरत का……
जिस मोड़ पर अपने बदल जाये….
उसे मौत कहते है.
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
साँसों का टूट जाना तो दस्तूर है…
कुदरत का……
जिस मोड़ पर अपने बदल जाये….
उसे मौत कहते है.
कहने वालों का कुछ नहीं जाता;
सहने वाले कमाल करते हैं;
कौन ढूंढें जवाब दर्दों के;
लोग तो बस सवाल करते है।
तेरे होंठों ने जो ग़ज़ल लिखी थी गर्दन पर मेरी,
आज भी हाथ फेरता हूँ तो निशान उभर आते हैं..
मोहब्बत क्या होती है,
हमने कर के बताया तो कहते हैं. अरे,ये तो हम कर चुके पहले भी!!!
कभी हम भी हँसते खेलते और मुस्कुराते थे, ज़नाब….
ये इश्क़ की आदत ने सब कुछ बदल के रख दिया|
रोज ढलता हुआ सूरज कहता है मुझसे,
आज उसको बेवफा हुए एक दिन और बीत गया ।
कितने सुलझे हुए तरीके से, मुझको उलझन में डाल जाते हो तुम…
करके हम यकीन गले लगाया था
हमे क्या पता वो हमसे रंजिश रखते है|
कभी कभी बहुत सताता है
यह सवाल मुझे,
.
हम मिले ही क्यूं थे
जब हमें मिलना ही नहीं था..
चल पड़ी है दुआएं मेरी अर्श की जानिब,
तुम बस मेरे होने की तैयारी करो..