एक अजीब सी जंग छिड़ी है रात के आलम में..
आँख कहती है सोने दे और दिल कहता है रोने दे..
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
एक अजीब सी जंग छिड़ी है रात के आलम में..
आँख कहती है सोने दे और दिल कहता है रोने दे..
हसीना ने मस्जिद के सामने घर क्या खरीदा,
पल भर में सारा शहर नमाज़ी हो गया….
खुल जाता है तेरी यादों का बाज़ार सुबह-सुबह ???
? और मेरा दिन इसी रौनक में गुजर जाता है !!???
जो तू कर ले वादा मेरी ख़ामोशी को पढ़ने का,
खिलौने की तरह बेआवाज़ होने को तैयार हूँ मैं..
सुनकर ज़माने की बाते, तू अपनी अदा मत बदल…
यकीन रख अपने खुदा पर,यु बार बार खुदा मत बदल…!!
शर्त लगी थी दुनिया की ख़ुशी को
एक लफ़्ज़ मे लिखने की….
वो किताबे ढुँढते रह गये
मैंने “बेटी” लिख दिया……!!!
हमसे क्या पूछते हो हमको किधर जाना है हम तो ख़ुशबू हैं बहरहाल बिखर जाना है
अजनबी ख्वाहिशें सीने में दबा भी न सकूँ
ऐसे जिद्दी हैं परिंदे के उड़ा भी न सकूँ
मैं भी कभी हँसता खेलता था, कल एक पुरानी तस्वीर में देखा था खुद को……..
अब कोई शनासा भी दिखाई नहीं देता
बरसों मैं इसी शहर का महबूब रहा हूँ