जिन्हें महसूस इंसानों के रंजो-गम नहीं होते…
वो इंसान भी हरगिज पत्थरों से कम नहीं होते..
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
जिन्हें महसूस इंसानों के रंजो-गम नहीं होते…
वो इंसान भी हरगिज पत्थरों से कम नहीं होते..
खुशबू बता रही है,,,,, वो शख्स
दरवाजे तलक आया था
आँगन आँगन ज़हर बरसाएगी उस की चाँदनी…!!!
☝वो अगर महताब की सूरत उजागर हो गयी….!!!
ये ख्वाब है, खुश्बू है, के झोंका है के तुम हो…!
ये धुंध है, बादल है, के साया है, के तुम हो …
तू चाहे कितनी भी तकलीफ दे दे….!!!
सुकुन भी सिर्फ उसी के पास ही मिलता है…!!
समुद्र बड़ा होकर भी,
अपनी हद में रहता है,
जबकि इन्सान छोटा होकर भी
अपनी हद भूल जाता है…
तुमसे किसने कह दिया कि मुहब्बत की बाजी हार गए हम? अभी तो दाँव मे चलने के लिए मेरी जान बाकी है !
सब कहते हैं ज़िन्दगी में सिर्फ एक बार प्यार करना चाहिए लेकिन तुमसे तो मुझे बार बार प्यार करने को दिल चाहता है।
खूश्बु कैसे ना आये मेरी बातों से यारों मैंने बरसों से एक ही फूल से जो मोहब्बत की है ।
,हम कब के मर चुके थे जुदाई में ऐ अजल….जीना पड़ा कुछ और तेरे इन्तिजार में….