वो जिसका बच्चा आठों पहर से भूखा हो बता खुदा वो गुनाह न करे तो क्या करे|
Tag: व्यंग्य
मैं अपनी चाहतों का
मैं अपनी चाहतों का हिसाब करने जो बेठ जाऊ तुम तो सिर्फ मेरा याद करना भी ना लोटा सकोगे ….
तुजसे एक सवाल है
एय खुदा …
तुजसे एक सवाल है मेरा …
उसके चहेरे क्यूँ नहीं बदलते ??
जो इन्शान ” बदल ” जाते है …. !!
कोई तो बात हैं
कोई तो बात हैं तेरे दिल मे जो इतनी गहरी हैं कि
तेरी हँसी तेरी आँखों तक नहीं पहुँचती |
रूठना मत कभी
रूठना मत कभी हमसे मना नही पायेंगे…..
तेरी वो कीमत है मेरी जिंदगी में कि शायद हम अदा नहीं कर पायेंगे…
मैं इतनी छोटी कहानी भी
मैं इतनी छोटी कहानी भी न था,
तुम्हें ही जल्दी थी किताब बदलने की|
काश पता चल जाये
काश पता चल जाये उनको
मैं भी उनका एक पता हूँ।।
ना जाने किसका
ना जाने किसका मुकद्दर संवरने वाला है…!
वो एक किताब मे चिट्ठी छुपा के निकली है…
मैं तो फिर भी
मैं तो फिर भी इंसान हूँ,बहक जाना फितरत में शामिल है मेरी
हवा भी उसको छूने के बाद देर तक नशे में रहती है|
है क़यामत भी
है क़यामत भी एक चीज़ लेकिन
देखना,तेरी अंगड़ाई जीत जायेगी