आसमां पे ठिकाने किसी के नहीं होते, जो ज़मीं के नहीं होते, वो कहीं के नहीं होते..!! ये बुलंदियाँ किस काम की दोस्तों… की इंसान चढ़े और इंसानियत उतर जायें….
Tag: व्यंग्य
आखिर कब तक
आखिर कब तक इन्तजार करूं मैं तुम्हारा , मैं आशिक हूँ ,धरने पर बैठा कोई सुनार नही |
तेरा बिछड़ना है
तेरा बिछड़ना है हौसला मेरे लिए.. ताउम्र याद दिलाएगा कुछ कमी थी मुझमे
कई बार मैंने देखा है
कई बार मैंने देखा है खुद को तुम में जिसे तुमने पुकारा नहीं जिद्द में वो मैं था है ऐतबार जिसे अब भी मुझ में वो इंतज़ार तुम हो..
वो लोग भी चलते है
वो लोग भी चलते है आजकल तेवर बदलकर … जिन्हे हमने ही सिखाया था चलना संभल कर…!
तड़प रही है
तड़प रही है सांसे तुझे महसूस करने को… फिजा में खुशबू बनकर बिखर जाओ तो कुछ बात बने …
कोई और तरीक़ा
कोई और तरीक़ा बताओ जीने का, साँसे ले ले कर थक गया हूँ !!
उत्तम समय कभी नहीं आता
“समस्या” के बारे में सोचने से, बहाने मिलते हैं, “समाधान” के बारे में सोचने से, रास्ते मिलते हैं… ज़िन्दगी को “आसान” नहीं, बस खुद को “मजबूत” बनाना पड़ता है। उत्तम समय कभी नहीं आता, समय को उत्तम बनाना पड़ता है…….
मरने का मजा
मरने का मजा तो तब है .. दोस्त जब जनाजे में कातिल भी आकर रोये..!!
गम देने की चाहत में
तुम खुद उलझ जाओगे मुझे गम देने की चाहत में, मुझमें हौसला बहूत है मुस्कुराकर निकल जाऊंगा…!!