लुटा चुका हूँ बहुत कुछ अपनी जिंदगी में यारो
मेरे वो ज़ज्बात तो ना लूटो, जो लिखकर बयाँ करता हूँ|
Tag: व्यंग्य
कुछ तोहफे लाये हैं
कुछ तोहफे लाये हैं हम तुम्हारे लिए
सुर्ख ताज़े गुलाबों की रंगत और ख़ुशबू
जिंदगी,वफ़ा और रिश्तों के मायनें भी
तुम सहेज कर रखोगी ना ये सब…?
हज़ार महफ़िलें है….
हज़ार महफ़िलें है….
लाख मेले है….
जब तक तू ना मिले…..
हम अकेले ही है…..
लफ़्ज़ों पे वज़न रखने से
लफ़्ज़ों पे वज़न रखने से नहीं झुकते मोहब्बत के पलड़े साहिब
हलके से इशारे पे ही ज़िंदगियां क़ुर्बान हो जाती हैं…
किन लफ्जों में
किन लफ्जों में लिखूँ मैं अपने इन्तजार को तुम्हे…
बेजुबां हैं इश्क़ मेरा और
ढूँढता हैं खामोशी से तुझे..!!
वक्त आया कि
वक्त आया कि अब खुद को बदनाम कहें।
हो रही हो खूब सुबह मगर हम शाम कहें
तुमने देखी है
तुमने देखी है वो पेशानी वो रूखसार, वो होंठ,
जिन्दगी जिनके तसव्वर में लुंटा दी मैंने।
बहुत आसान है
बहुत आसान है पहचान इसकी….,
अगर दुखता नहीं है तो “दिल” नहीं है….।
यूँ गुमसुम मत बैठो
यूँ गुमसुम मत बैठो पराये से लगते हो,
मीठी बातें नहीं करना है तो चलो झगड़ा ही कर लो…!!
नजर का तीर है
तिरछी, नजर का तीर है, मुश्किल से निकलेगा,
दिल साथ निकलेगा,अगर ये दिल से निकलेगा..