लुटा चुका हूँ

लुटा चुका हूँ बहुत कुछ अपनी जिंदगी में यारो
मेरे वो ज़ज्बात तो ना लूटो, जो लिखकर बयाँ करता हूँ|

कुछ तोहफे लाये हैं

कुछ तोहफे लाये हैं हम तुम्हारे लिए
सुर्ख ताज़े गुलाबों की रंगत और ख़ुशबू
जिंदगी,वफ़ा और रिश्तों के मायनें भी
तुम सहेज कर रखोगी ना ये सब…?

किन लफ्जों में

किन लफ्जों में लिखूँ मैं अपने इन्तजार को तुम्हे…

बेजुबां हैं इश्क़ मेरा और
ढूँढता हैं खामोशी से तुझे..!!