उसने पूछा की हमारी चाहत में मर सकते हो,
हमने कहा की हम मर गए तो तुम्हें चाहेगा कौन
Tag: व्यंग्य
तुम नाराज हो जाओ
तुम नाराज हो जाओ, रूठो या खफा हो जाओ,
पर बात इतनी भी ना बिगाड़ो की जुदा हो जाओ
इजाज़त हो तो
इजाज़त हो तो कुछ अर्ज करूं…
तुम खेल चुके हो तो…
मेरा दिल वापस कर दो न अब…
न तो धन छुपता है
न तो धन छुपता है न मोहब्बत ,
जाहिर हो ही जाता है छुपाते – छुपाते
नादाँ तुम भी
नादाँ तुम भी नही
नादाँ हम भी नही
मुहब्बत का असर
इधर भी है …उधर भी है
तुम्हारी नाराजगी बहुत
तुम्हारी नाराजगी बहुत वाजिब है…
मै भी खुद से खुश नहीं हूँ !
हल्की हल्की बातें
जब से तूने हल्की हल्की बातें की हैं….
तबियत भारी भारी सी रहती है……
रूक गया है
रूक गया है आसमां मेँ चाँद चलते चलते . . . .
तुमको अब छत से उतरना चाहिए . . . .
लाज़मी नहीं के
लाज़मी नहीं के तुझे आंखों से देखूं..
तेरी खुशबू तेरे दीदार से कम तो नहीं|
दिल को जो मेरे ले गया
दिल को जो मेरे ले गया, उसकी तलाश क्या करूँ
जिसने चुराया दिल मेरा, वो तो मेरी नज़र में है|