आज फिर देखा है

आज फिर देखा है मुझे किसी ने मोहोब्बत भरी निगाहों से,

और एक बार फिर तेरी ख़ातिर मैंने अपनी निगाहें झुका ली…

तुम मेरे लिए रेत क्यों हुए..

तुम मेरे लिए रेत क्यों हुए…पहाड़ क्यों न हुए ?
तुम मेरे लिए पहाड़ क्यों हुए…रेत क्यों न हुए ?
रेत…पहाड़…मैं…सब वही
सिर्फ… “तुम” बदल गए
पहली बार भी
और
फिर…आखिरी बार भी…