मुझे सिर्फ़ इतना बता
दो…
इंतज़ार करूँ या बदल जाऊँ तुम्हारी तरह…..
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
मुझे सिर्फ़ इतना बता
दो…
इंतज़ार करूँ या बदल जाऊँ तुम्हारी तरह…..
खरीदने निकला था थोड़ी ख़ुशी,
ज्यादा खुश
तो वो मिले जिनकी जेबें खाली थी…!!
आ गई याद शाम ढलते
ही,
बुझ गया दिल चराग जलते ही।
दिल उदास है बहुत कोई
पैगाम ही लिख दो,
तुम अपना नाम ना लिखो गुमनाम ही लिख दो…
“यादों की कसक…साँसों
की थकन…आँखों में नमी है…,
ज़िन्दगी…तुझमे सब कुछ है बस…“उसकी” कमी है…!”
हर एक बात को चुप-चाप क्यूँ सुना जाए
कभी तो हौसला कर के नहीं कहा जाए
तुम्हारा घर भी इसी शहर के हिसार में है
लगी है
आग कहाँ क्यूँ पता किया जाए
जुदा है हीर से राँझा कई ज़मानों से
नए सिरे से कहानी को फिर लिखा जाए
कहा गया है सितारों को छूना मुश्किल है
कितना सच है कभी तजरबा किया जाए
किताबें
यूँ तो बहुत सी हैं मेरे बारे में
कभी अकेले में ख़ुद को भी पढ़ लिया जाए
मेरी ख्वाइश थी कि मुझे तुम ही मिलते, मगर मेरी ख्वाइशों की इतनी औकात कहाँ…..
हमने कब कहा कीमत समझो तुम मेरी…
,
हमें बिकना ही होता तो यूँ तन्हा ना होते….
……
……….
मेरी गली से गुजरा.. घर तक नहीं आया,
,
,
,
अच्छा वक्त भी करीबी रिश्तेदार निकला…
……
………..
सुनकर ज़माने की बाते, तू अपनी अदा मत बदल…
यकीन रख अपने खुदा पर,यु बार बार खुदा मत बदल…!!