कुछ दिन के लिए रूठ के अच्छा किया हुजूर…
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जितने अधूरे काम थे,निपटा दिए हमने………
Tag: व्यंग्य
दौलत तो साथ
बस दुआएँ बटोरनें आया हूँ, माँ ने कहा,
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दौलत तो साथ जाती नहीं”..
दोस्तों से भरे
तू देख कि तुझसे इश्क करने में मुझे कैसे जीना पड़ गया
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दोस्तों से भरे शहर में दीवारों से लिपट कर रोना पड़ गया
कहीं भी नहीं मिले
आखिर थक हार के, लौट आया मैं बाजार-ए – दुनिया से
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कि यादों को बंद करने के ताले, कहीं भी नहीं मिले___!!
Aye Jindagi Kash
KYA KHUB LIKHA HAI KISINE……..
”Aye Jindagi Kash Tu Hi Ruth Jati Mujhse…….
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Kyoki…….
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Ye Ruthe Hue Log Ab Mujhse Manaye Nahi
Jaate……….
मोहब्बत नहीँ करतेँ..
ना शौक दीदार का… ना फिक्र जुदाई की,
बड़े खुश नसीब हैँ वो लोग जो…मोहब्बत नहीँ करतेँ…!!
वक़्त रहता नहीं
वक़्त रहता नहीं कहीं टिक कर,
इसकी आदत भी आदमी सी है.
मोहलत लेकर आयेंगे
वादा करते हैं दोस्ती निभाएंगे कोशिश यही रहेगी तुझे ना सताएँगे
ज़रूरत पड़े तो दिल से पुकार ना
मर भी रहे होंगे तो मोहलत लेकर आयेंगे
बहुत सोच समझकर
बहुत सोच समझकर हमसे कोई वादा करना…. ऐ दोस्तों…… हम वादे पर जिंदगी गुज़ार देते हैं…..!!
मुझे दर्द दिया है!
नफरत ही सही तुमने मुझे कुछ तो दिया है!
इतनी बड़ी दुनिया में मुझे तन्हा किया है!
मैं तुमसे शिकायत भी यार कर नही सकता,
रब ने ही वसीयत में, मुझे दर्द दिया है!
तुम मुझको आंसुओं की, ये बूंदें न दिखाओ,
मैंने तो आंसुओं का समुन्दर भी पिया है!
जाने क्यूँ दर्द ज़ख्मों से बाहर निकल आया,
ज़ख्मों का तसल्ल्ली से रफू तक भी किया है!
तुम मुझे कोई उजाला न दिखाओ,
अब मेरा ही दिल मानो कोई जलता दिया है!”