तुफानों से गुजारिश नही की जाती…..
…….उनका सामना किया जाता है…
Tag: व्यंग्य
उजालो के बावजूद
बड़ी ‘अजीब’ सी है शहरो की रोशनी…
उजालो के बावजूद चेहरे ‘पहचानना’ मुश्किल है !!
इज़हार-ए-इश्क
इज़हार-ए-इश्क करो उस से, जो हक़दार हो इसका,,
बड़ी नायाब शय है ये इसे ज़ाया नहीं करते…..
ये वक़्त बेवक़्त
ये वक़्त बेवक़्त मेरे ख्यालों में आने की आदत
छोड़ दो तुम….,
कसूर तुम्हारा होता है और लोग मुझे
आवारा कहते है….।
आधे से ज्यादा
हमारे देश में हसी मजाक भी बिजली की तरह है आधे से ज्यादा लोगों के नसीब मे नही है
मिटटी में मिल जायेगी..
ना जीत पे अपनी दम्भ करो ना हार पे मेरी तंज़ कसो ,
जो धूल हवा से उड़ी है फिर से मिटटी में मिल जायेगी..!!
लोग ही बिछड़ गए
“क्या लिखूँ , अपनी जिंदगी के बारे में.
दोस्तों.
वो लोग ही बिछड़ गए.
‘जो जिंदगी हुआ करते थे !!
हुए बदनाम मगर
हुए बदनाम मगर फिर भी न सुधर पाए हम…..
फिर वही शायरी, फिरवही इश्क, फिर वही तुम..फिर वही हम…..
कोई प्यासा दिखे तो
आंधियों से न बुझूं ऐसा उजाला हो जाऊँ,
वो नवाज़े तो जुगनू से सितारा हो जाऊँ,
एक क़तरा हूँ मुझे ऐसी फितरत दे भगवन’
कोई प्यासा दिखे तो दरिया हो जाऊ…!!!
जिसकी साँसे भी
उस ‘गरीब’ की
‘उम्मीदें’ क्या होंगी ..!
जिसकी ‘साँसे’ भी
‘गुब्बारों’ में बिकती हैं…