यहीं रही है यहीं रहेगी ये शानो शौकत ज़मीन दौलत
फकीर हो या नवाब सबको, कफन वही ढाई गज मिला है
Tag: व्यंग्य
किसी शहर के
किसी शहर के सगे नहीं हैं ये चहचहाते हुए परिंदे
तभी तलक ये करें बसेरा दरख़्त जब तक हरा भरा है
मेरी बाहों के
इश्क का तू हरफ।।जिसके चारों तरफ।।मेरी बाहों के घेरे का बने हासिया
आस्था को ठेस
आस्था को ठेस पहुंची तो लगे तुम चीखने
मंदिरों में धर्म भी है कि नहीं ये तो पढो
इक इंसान को
ज़हर जो शंकर बनाये आपको तो खाइए
वरना इक इंसान को विषधर न होने दीजिये
तुमको देखा तो
तुमको देखा तो फिर उसको ना देखा
हमने….!!
चाँद कहता रहा कई बार कि मैं चाँद हूं, मैं
चाँद हूँ….!!
जिसकी बातों में दम नहीं होता
चीखता है वही सदा
जिसकी बातों में दम नहीं होता
इंतजार की घङिया
इक मैँ जो,
इंतजार
की घङिया ;गिनता रहा……!!
.
इक तुम जो,
आँखे चुराकर निकल
गए……!!
तेरी यादें
तेरी यादें…..कांच के
टुकड़े…
और मेरा दिल ….नंगे पाँव..!!
हमेशा उन्हीं के करीब
हमेशा उन्हीं के करीब
मत रहिये जो आपको खुश रखते हैं,
बल्कि कभी उनके भी करीब
जाईये जो आपके बिना खुश नहीं रहते हैं।