जो दिल के दर्द

जो दिल के दर्द को भुलाने को दारु पीता है, वो चखना नहीं खाता

चखना तो कमीने दीलासा देने वाले साफ कर जाते है|

दिल ए तबाह

दिल ए तबाह को ज़ख़्मों की कुछ कमी तो नहीं
मगर है दिल की ये तमन्ना तुम एक वार और करो

अपना ही चेहरा

बीवी, बच्चे, सड़कें, दफ्तर और तनख्वाह के चक्कर में
मैं घर से अपना ही चेहरा पढ़कर जाना भूल गया