बहता पानी भी रुकता देखा_बांधों के अवरोधों से…. नहीं किसी के रोके रुकती उसका नाम “जवानी” है
Tag: व्यंग्य
गुज़रता कौन हे
इश्क में शोलों के दरिया से गुज़रता कौन हे । जान देनेको तो सभी कहतें हे, मरता कौन हे ।
मुश्किल से मुश्किल
इतना आसां नहीं है मुझे आसां कर पाना बङी मुश्किल से मुश्किल हुआ हुँ.
इश्क के रिश्ते
“इश्क के रिश्ते भी बड़े नाजुक होते है साहब, रात को नम्बर बिजी आने पर भी टूट जातेहै.!!”
हाथों से मुकद्दर
हाथों से मुकद्दर तो संवर सकती है, लेकिन हाथों की लकीर में मुकद्दर नहीं होता है।
मै भी इंसान हूँ
मै भी मै भी इंसान हूँ तम भी मै भी इंसान हूँ, तु पढ़ता है “वेद” हम पढ़ते “क़ुरान” है।
हारने की आदत
कमबख्त इस दिल को हारने की आदत हो गयी है! वरना हमने जहाँ भी दिमाग लगाया फ़तेह ही पाई है!!
हमसफ़र न था
उसके मिरे ख़याल जुदा थे हरेक तौर हमराह था वो मेरा, मिरा हमसफ़र न था
हैरत की बात है
हैरत की बात है कि दुआ भी न आयी काम माना किसी मतलब से दवा में असर न था
मशवरा तो देते रहते हो
मशवरा तो देते रहते हो.. “खुश रहा करो”.. कभी कभी वजह भी दे दिया करो