तेरा जाना हुआ

क्या उस गली में कभी तेरा जाना हुआ जहां से ज़माने को गुज़रे ज़माना हुआ मेरा समय तो वहीँ पे है ठहरा हुआ बताऊँ तुम्हे क्या मेरे साथ क्या क्या हुआ

होने की गवाही

होने की गवाही के लिए ख़ाक बहोत है। या कुछ भी नहीं होने का इरादा बहोत है।

बिछड़ जाते हैं

यादें क्यों नहीं बिछड़ जाती…. लोग तो पल में बिछड़ जाते हैं.!!

दवा कैसी है

अब दवा कैसी है दुआ का वक़्त तेरे बीमार में रहा क्या है

ऐ दिल वो

ऐ दिल वो आशिक़ी के फ़साने किधर गए वो उम्र क्या हुई वो ज़माने किधर गए

इश्क हुआ और मेरा खुदा

नजर…नमाज…नजरिया सब कुछ बदल गया… एक रोज इश्क हुआ और मेरा खुदा बदल गया…!

मुझ को है

मुझ को है एतराफ दुआओं में है असर जाएँ न अर्श पर जो दुआएं तो क्या करे

तेरे पास जो है

तेरे पास जो है उसमें सबर कर, उसकी कदर कर दीवाने… यहाँ तो आसमां के पास भी खुद की ज़मीन नहीं………….

राह भूल जाता हूँ

एक जंगल है तेरी आँखों में मैं जहाँ राह भूल जाता हूँ

इंसान इतना डरपोक है

कमाल है ना, इंसान इतना डरपोक है की सपनो में भी डर जाता है..और इतना निडर है की जब जागता है तो भगवान् से भी नहीं डरता है !!

Exit mobile version