ख़फा होता है जो, वो ही अपनी दौलत है
बाक़ी तो सजावटी लिफाफे अक़सर ख़ाली ही होते हैं
Tag: व्यंग्य
लाख बढ़ाया हौसला
आँधियों ने लाख बढ़ाया हौसला धूल का…
दो बूँद बारिश ने औकात बता दी
बहुत पानी बरसता है
बहुत पानी बरसता है तो मिट्टी बैठ जाती है
न रोया कर बहुत रोने से छाती बैठ जाती है
यही मौसम था जब छत पर टहलते थे
यही मौसम है अब सीने में सर्दी बैठ जाती है
चलो माना कि शहनाई मोहब्बत की निशानी है
मगर वो शख़्स जिसकी आ के बेटी बैठ जाती है
बढ़े बूढ़े कुएँ में नेकियाँ क्यों फेंक आते हैं ?
कुएँ में छुप के क्यों आख़िर ये नेकी बैठ जाती है ?
सियासत नफ़रतों का ज़ख्म भरने ही नहीं देती
जहाँ भरने पे आता है तो मक्खी बैठ जाती है
वो दुश्मन ही सही आवाज़ दे उसको मोहब्बत से
सलीक़े से बिठा कर देख हड्डी बैठ जाती है.
कोई फायदा नही ।
नसीब अच्छे ना हो तो खूबसूरती का कोई फायदा नही ।
दिलो के शहनशाह अकसर फकीर होते है।
खामोशी मे ही मिलती है
सच्चाई अक्सर, खामोशी मे ही मिलती है;
झुठ को हर वक्त, होंठो पर रहने की आदत है!
चोरी दिल की
गवाह नही कोई
मगर चोरी दिल की तुम ने ही की है!!
तुझे पढ़ने की फुर्सत
तुझे पढ़ने की फुर्सत ना मिली वर्ना,
मै तो तेरे शहर में बिकता रहा किताबों की तरह।।
अगर न तेरी चाह
यह दिलबरी,यह नाज, यह अंदाज, यह जमाल..
इन्सां करे अगर न तेरी चाह तो क्या करे..!
मैं भी तेरे ईश्क में
मैं भी तेरे ईश्क में आतंकवादी बन जाऊ..
तुझे बांहो में ले के बम से उड़ जाऊ..
हाथ की लकीरें
हाथ की लकीरें पढने वाले ने तो मेरे होश ही उड़ा दिये
मेरा हाथ देख कर बोला….
तुझे मौत नहीं किसी की चाहत मारेगी