मेरी रूह को छू लेने के लिए बस कुछ लफ़्ज़ ही काफ़ी हैं……
कह दो बस इतना कि तेरे साथ जीना अभी बाक़ी है…!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
मेरी रूह को छू लेने के लिए बस कुछ लफ़्ज़ ही काफ़ी हैं……
कह दो बस इतना कि तेरे साथ जीना अभी बाक़ी है…!
अजब पहेलियाँ हैं मेरे हाथों की इन लकीरों में…
सफर तो लिखा हैं मगर मंजिलों का निशान नहीं ….!!!
गिरना ही था तुमको तो सौ मुकाम थे,
ये क्या किया के नज़रो से ही गिर गयी ?
मौसम बहुत सर्द है
चल ए दोस्त …
गलतफहमियो को..
आग लगाते है
तलाश दिल की आज भी अधूरी है…,
जीने के लिए साँसों से ज्यादा आज भी तू जरूरी है…!
तूने तो कह दिया, अब तेरा मेरा कोई वास्ता नहीं हैं,
फिर भी अगर तू आना चाहे, तो रास्ता वही हैं ..!!
चलती हुई “कहानियों” के जवाब तो बहुत हैं मेरे पास…
लेकिन खत्म हुए “किस्सों” की खामोशी ही बेहतर है…
अरमानों को जगाकर,आज भी बेठा हूँ उसी जगह पर,
जहाँ एक झलक देखने को मिलती थी, मेरी मुहब्बत मुझे……।
हम तो नादाँ है, क्या समझेगें
उसूल – ए – मोहब्बत,
बस उसे चाहना था उसे चाहते हैं
और
उसे ही चाहेंगे !
शायद कोई तराश कर,हीरा बना दे।
यही सोच कर मैं,उम्र भर पत्थर बना रहा!