कभी इतना मत मुस्कुराना की नजर लग जाए जमाने
की, हर आँख मेरी तरह मोहब्बत की नही होती….!!!
Tag: व्यंग्य
तुमने समझा ही नहीं
तुमने समझा ही नहीं…और ना समझना चाहा,
हम चाहते ही क्या थे तुमसे… तुम्हारे सिवा
और कितने इम्तेहान
और कितने इम्तेहान लेगा वक्त तु ।
जिन्दगी मेरी है फिर मर्जी तेरी क्यों
क्या सपने होंगे
क्या सपने होंगे उस गरीब के…
जिसकी सांसे भी गुब्बारो में बिक जाती है…
भरोसे पे ही
भरोसे पे ही “जिंदगी” टीकी है
वरना कौन कहता “फ़िर मिलेंगे”..
तुझे पाने की ख्वाहिश
कसम से तुझे पाने की ख्वाहिश तो बहुत थी, मगर
मुझे तुझसे दुर करने की दुआ करने वाले ज्यादा निकले।।
एक समय तक
एक समय तक हम लोग अंग्रेजों के गुलाम थे.
और आज अँग्रेजी चीजो,और सामानो के “गुलाम” है
फितूर होता है
फितूर होता है हर उम्र में जुदा…
खिलौने,माशुका,रूतबा और खुदा…
ए दिल तुम भी ना कमाल
क्या कहा? वो और मुझे याद करते होंगे…
ए दिल तुम भी ना कमाल करते हो…
ख्वाहिशों का जुनून
ख्वाहिशों का जुनून हमें
उस मोड़ पर ले जाता है !
जहाँ हम किसी का
दिल दुखाने में भी
पीछे नही हटते !!