उस दिन बहुत सुंन्दर लग रही थी
वो……मगर पहली बार किसी और कि लग
रही थी वो…
Tag: व्यंग्य
आज जिस्म मे जान है
आज जिस्म मे जान है तो देखते नही हैं लोग,
जब ‘रूह’ निकल जाएगी तो कफन हटा हटा कर देखेंगे लोग..
दिल तुम्हारी तरफ कुछ
दिल तुम्हारी तरफ कुछ यूँ झुक सा जाता है..
किसी बेइमान बनिए का तराजु हो जैसे..!!
प्यार तो प्यार है
एक तरफा ही सही…प्यार तो प्यार है…,
उसे हो ना हो…लेकिन मुझे बेशुमार है…!
अच्छे लोग खामोश है
अंदाज़ कुछ अलग हैं मेरे सोचने का,,
सब को मंजिल का शौक है और मुझे रास्तों का…
ये दुनिया इसलिए बुरी नही के यहाँ बुरे लोग ज्यादा है।
बल्कि इसलिए बुरी है कि यहाँ अच्छे
लोग खामोश है..!!!
वो मंजर भी मोहब्बत का
वो मंजर भी मोहब्बत का बडा दिलकश गुजरा,
किसी ने हाल पुछा और आँखें भर आई !!
जुदाई से डरता हुँ।
जमाने से नही तो तनहाई से डरता हुँ,
प्यार से नही तो रुसवाई से डरता हुँ,
मिलने की उमंग बहुत होती है,
लेकिन मिलने के बाद तेरी जुदाई से डरता हुँ।
फ़र्क़ होता है
फ़र्क़ होता है खुदा और फ़क़ीर में;
फर्क होता है किस्मत और लकीर में;
अगर कुछ चाहो और ना मिले;
तो समझ लेना कि कुछ और अच्छा लिखा है तुम्हारी तक़दीर में।
मेरे दिल मे हो
फासला रख के क्या हासील कर लीया तुमने
रह ते तो आज भी मेरे दिल मे हो
मोहब्बत बेशरम है
पुरानी होकर भी खास होते जा रही है,
मोहब्बत बेशरम है, बेहिसाब होते जा रही है।