ताल्लुकात बढ़ाने हैं तो
कुछ आदतें बुरी भी सीख लो..
ऐब न हों..
तो लोग महफ़िलों में भी नहीं बुलाते…!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
ताल्लुकात बढ़ाने हैं तो
कुछ आदतें बुरी भी सीख लो..
ऐब न हों..
तो लोग महफ़िलों में भी नहीं बुलाते…!
मरम्मतें खुद की रोज़ करता हूँ,
रोज़ मेरे अंदर एक नुक्स निकल आता है !!
तेरी याद इलाज -ए- ग़म है,
सोंच तेरा मुकाम क्या होगा!
तेरी मोहब्बत तो जैसे सरकारी नौकरी हो,
नौकरी तो खत्म हुयी अब दर्द मिल रहा है पेंशन की तरह!
तकदीरें बदल जाती हैं जब ज़िंदगी का कोई मकसद हो,
वरना ज़िंदगी कट ही जाती है तकदीरों को इल्ज़ाम देते देते!
हद पार करने की भी…
एक हद होती है
न जाने कौन सी दौलत है तेरे लफ़्ज़ों में,
बात करते हो तो दिल खरीद लेते हो!
सरेआम न सही फिर भी रंजिश सी निभाते है..
किसी के कहने से आते किसी के कहने से चले जाते..
किसी रंजिश को हवा दो कि मैं ज़िंदा हूँ अभी,
मुझको एहसास दिला दो कि मैं ज़िंदा हूँ अभी!
न रूठना हमसे हम मर जायेंगे!
दिल की दुनिया तबाह कर जायेंगे!
प्यार किया है हमने कोई मजाक नहीं!
दिल की धड़कन तेरे नाम कर जायेंगे!