हमसफर मेरा तू..
अब…
मंझिल-ऐ-जुस्तजू क्या…??
खुद ही कायनात हूँ…
अब अरमान-ऐ-अंजुमन क्या…???
Tag: व्यंग्य
हर मुठी में है
दर्द छुपाना भी एक हुनर है,
वरना नमक तो हर मुठी में है..!!
बदलता हैं चेहरा
बहुत दिन हुए तुमने, बदली नहीं तस्वीर अपनी!
मैंने तो सुना था, चाँद रोज़ बदलता हैं चेहरा अपना!!
मुहब्बत आखिरी हद तक
कोई रिश्ता बना के मुतमईन होना नही अच्छा !!
मुहब्बत आखिरी हद तक ताल्लुक आजमाती है!!
चादर की तरह
एक रूह है..
जैसे जाग रही है.. एक उम्र से… ।
एक जिस्म है..
सो जाता है बिस्तर पर.. चादर की तरह… ।।
फूलों की महक
कैसे सबूत दूँ तुझे मेरी मोहब्बत का…
फूलों की महक देखनी हो…..
तो जज़्बात की निग़ाह चाहिये….!!
फिजूल बिल्कुल नही
अगर फुर्सत के लम्हों मे आप मुझे याद करते हो तो अब मत करना..
क्योकि मे तन्हा जरूर हुँ, मगर फिजूल बिल्कुल नही.
हमें मालूम नहीं था
कभी यूँ भी हुआ है हंसते-हंसते तोड़ दी हमने…
हमें मालूम नहीं था जुड़ती नहीं टूटी हुई चीज़ें..!!
सब कुछ है
कई रिश्तों को परखा तो नतीजा एक ही
निकला,
जरूरत ही सब कुछ है, महोब्बत कुछ नहीं
होती……..॥
मोहब्बत की नहीं थी
मुझ पर इलज़ाम झूठा है ….
मोहब्बत की नहीं थी….
हो गयी थी