किसी गुलाब से कोई मतलब नहीं मुझे,
सिर्फ आप और आप ही महकती रहो |
Tag: व्यंग्य
किसकी पनाह में
किसकी पनाह में तुझको गुज़ारे ऐ जिंदगी,
अब तो रास्तों ने भी कह दिया है, कि घर क्यों नहीं जाते !
मिली है अगर जिंदगी
मिली है अगर जिंदगी तो मिसाल बन कर दिखाइये
वर्ना इतिहास के पन्ने आजकल रिश्वत देकर भी छपते है…!!
तनिक सुनो मेरी बात
तनिक सुनो मेरी बात ।
हमसफ़र ख़ूबसूरत नहीं सच्चा होना चाहिए…!तनिक सुनो मेरी बात
लोग बुरे नहीं होते….
लोग बुरे नहीं होते……
बस आपके मतलब के नहीं होते….
इसलिए बुरे लगते है……
कब्र को देख के
कब्र को देख के,
ये रंज होता है,
दोस्त के इतनी सी जगह
पाने के लिए कितना जीना पड़ता है|
तेरी हसरत दिल में
तेरी हसरत दिल में यूँ बस गई है,
जैसे अंधे को हसरत आँखों की…
कितना अच्छा लगता है
कितना अच्छा लगता है ,
जब कोई कहता है……
अपना ख्याल रखना मेरे लिए !!
ज़ुल्म के सारे हुनर
ज़ुल्म के सारे हुनर हम पर यूँ आजमाए
जुल्म भी सहा हमने और जालिम भी कहलाये|
कोई नहीं है
कोई नहीं है दुश्मन अपना फिर भी परेशान हूँ मैं,
अपने ही क्यूँ दे रहे है जख्म इस बात से हैरान हूँ मैं !!