ना शौक बड़ा दिखने का
ना तमन्ना भगवान होने की
बस आरजू जन्म सफल हो
कोशिश इंसान होने की
Tag: व्यंग्य
यादों में खोया रहता हूँ
तेरी यादों में खोया रहता हूँ..,
लोग कहते हैं, मैं निकम्मा हूँ..,
पर इसके सिवा, कर भी क्या सकता हूँ..,
हर आती जाती सांसें, तेरा ही नाम लेती है|
बेताब किया है ।
जज्बो को मेरे और भी बेताब किया है ।
मेहँदी लगाके तुमने जो आदाब किया है |
लफ्ज ही ऐसी चीज़ है
लफ्ज ही ऐसी चीज़ है
जिसकी वजह सेइंसान
या तो दिल में उतर जाता
है या दिल से उतर जाता है
ज़िन्दगी के इस कश्मकश
मे वैसे तो मैं भी काफ़ी बिजी हुँ
लेकिन वक़्त का बहाना बना
कर अपनों को भूल जाना मुझे
आज भी नहीं आता !
जहाँ दोस्त याद न आए वो
तन्हाई किस काम की
बिगड़े रिश्ते न बने तो खुदाई
किस काम की बेशक अपनी
मंज़िल तक जाना है
पर जहाँ से अपना दोस्त ना
दिखे वो ऊंचाई किस काम की …….
इतनी भी संजीदगी
इतनी भी संजीदगी अच्छी नहीं
बात वो दिल में दबा कर रह गए
मैंने उनके तिल की जब तारीफ़ की
बस उसी पे तिलमिला कर रह गए|
आँखों मे ख्वाब
आँखों मे ख्वाब उतरने नही देता,
वो शख्स मुझे चैन से मरने नही देता…
बिछड़े तो अजब प्यार जताता है खतों मे,
मिल जाए तो फिर हद से गुजरने नही देता… !!!
थोड़ी सी खुद्दारी
थोड़ी सी खुद्दारी भी लाज़मी थी
उसने हाथ छुड़ाया ..मैंने छोड़ दिया |
कौन कहता है
कौन कहता है कुछ नही बदला
अब में उसे”आप”कहता हूँ
मैंने यादें उठाकर
मैंने यादें उठाकर देखी हैं…..
इक वक्त ऐसा भी था जब तुम मेरे थे|
जिस दिन सादगी
जिस दिन सादगी श्रृंगार हो
जाएगी,
उस दिन आईनों की हार हो
जाएगी..