मुझे मौत में जीवन

मुझे मौत में
जीवन के-
फूल चुनना है
अभी मुरझाना
टूटकर गिरना
और अभी
खिल जाना है
कल यहाँ-
आया था
कौन, कितना रहा
इससे क्या ?
मुझे आज अभी
लौट जाना है
मेरे जाने के बाद
लोग आएँ
अरथी सँभालें
काँधे बदलें
इससे पहले
मुझे खुद सँभलना है.
मौत आये
और जाने कब आये
अभी तो मुझे
सँभल-सँभलकर
रोज-रोज जीना
और रोज-रोज मरना है !

कभी फूलों की तरह

कभी फूलों की तरह मत जीना, जिस दिन खिलोगे…,, टूट कर बिखर जाओगे । जीना है तो पत्थर की तरह जियो; जिस दिन तराशे गए… “खुदा” बन जाओगे

MANZIL BHI USKI

MANZIL BHI USKI THEE,RASTA BHI USKA THAA,
EK MEIN AKELA THAA, KAFILA BHI USKA THAA.
SAATH-SAATH CHALNE KI SOOCH BHI USKI THEE,
PHIR RASTA BADALNE KA KHAYAL BHI USKA THAA,
AAJ DIL YEH SAWAAL KARTA HAI,LOOG TO USKE THEEY
KYA KHUDA BHI USKA THAA

कसा हुआ हैं

कसा हुआ हैं तीर हुस्न का ज़रा संभलके रहियेगा,

नज़र नज़र को मारेगी तो क़ातिल हमें ना कहियेगा…….