जरा ठहर ऐ दिल, सुन…. लौट चलते हैं वापिस…. अकेले सफर में गुफ्तगू किससे होगी अब…!!
Tag: व्यंग्य शायरी
बिकती है ना खुशी
बिकती है ना खुशी कही,ना कही गम बिकता है… लोग गलतफहमी में है की,शायद कही मरहम बिकता है..
हमने तो उनसे
हमने तो उनसे बेशुमार मोहब्बत की थी…. पर उनके कुछ गुनाह ऎसे थे की आज उस मोहब्बत से बड़ी नफरत हो चुकी है..
इश्क़ को नसीहत
इश्क़ को नसीहत और बेटो को वसीयत की जरुरत तभी पड़ती है, जब वो खुद बड़े कमजोर हो.
फना होने की इजाजत
फना होने की इजाजत ली नहीं जाती ये मोहब्बत है जनाब पूछ के की नहीं जाती
फना होने की इजाजत
फना होने की इजाजत ली नहीं जाती ये मोहब्बत है जनाब पूछ के की नहीं जाती…
बेपरवाह हो जाते है
बेपरवाह हो जाते है अक्सर वो लोग, जिन्हे कोई बहुत प्यार करने लगता है…
दिल भी जिद पर
दिल भी जिद पर अडा है बच्चे की तरह, या तो वो चाहिए या फिर कुछ नहीं !!
दीदार के लिए
किसी और के दीदार के लिए उठती नहीं ये आँखे, बेईमान आँखों में थोड़ी सी शराफ़त आज भी है !!
मुझ पर इलज़ाम झूठा है ….
मुझ पर इलज़ाम झूठा है …. मोहब्बत की नहीं थी…. हो गयी थी