ख्वाइश बस इतनी सी है कि तुम मेरे लफ़्ज़ों को समझो
आरज़ू ये नहीं कि लोग वाह – वाह करें…!!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
ख्वाइश बस इतनी सी है कि तुम मेरे लफ़्ज़ों को समझो
आरज़ू ये नहीं कि लोग वाह – वाह करें…!!
करोडो में नीलाम होते है यहाँ, एक नेता के
उतारे हुए सूट ।
वही कचरे में फेक देते है, ‘शहीदों की वर्दी और
बूट’ ।
आज का ज्ञान
अगर कोई दस बजे उठे…
तो जरूरी नहीं कि वो…
‘आलसी’ हो……….
हो सकता है उसके ‘सपने’ बड़े हों…!!
क्यों
भरोसा करते हो गैरों पर…
जब तुम्हें चलना है खुद के पैरों पर…
हथियार तो सिर्फ शोक के लिए रखा करते हैं , खौफ
के लिए तो बस हमारा नाम ही काफी है..
ख़ौफ़ तो कुत्ते भी
फैला सकते है……….. पर दहशत
हमेशा शेरो की रहती है ……..
ज़िंदगी
ज़िंदा-दिली का है नाम……
,
,
मुर्दा-दिल क्या ख़ाक जिया करते हैं….
………….
अगर तुम्हें
खुशियाँ मिलने लगें तो, तीन
चीज़ मत भूलना..,..”अल्लाह को”,
उसकी “मखलूक को”, और
“अपनी
औकात” को..!!
हर इसांन की ख्वाहिश होती है
कि सब
उसे पहचाने
,
पर
,
ये भी चिंता सताती है,
कि कोई सही में पहचान न ले…
मेरी गलतियां मुझसे कहो
दूसरो से
नहीं,
कियोंकि सुधार ना मुझे है उनको नही…..
…………