तुम से बेहतर तो तुम्हारी निगाहें थीं,
कम से कम बातें तो किया करतीं थीं…
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
तुम से बेहतर तो तुम्हारी निगाहें थीं,
कम से कम बातें तो किया करतीं थीं…
कहाँ खर्च करूँ , अपने दिल की दौलत…
सब यहाँ भरी जेबों को सलाम करते हैं…
मालूम नहीं है मुझको हुस्न की तारीफ मगर
मेरे लिए हर वो शख्स खूबसूरत है जो दिखता तुझसा है
खुद की तरक्की में इतना
समय लगा दो
की किसी ओर की बुराई
का वक्त ही ना मिले……
“क्यों घबराते हो दुख होने से,
जीवन का प्रारंभ ही हुआ है रोने से..
नफरतों के बाजार में जीने का अलग ही मजा है…
लोग “रूलाना” नहीं छोडते…
और हम ” हसना” नहीं……
मुकद्दर एक रोज जरुर बदलेगा बस इतना कर,
जिस्म मैं दौड़ते लहू को माथे
का पसीना बना दे
शिकायते तो बहुत है तुझसे ए जिन्दगी;
पर जो दिया तूने,
वो भी बहुतो को नसीब नही….
हार की परवाह करता,तो मै जीतना छोड़ देता…लेकिन “जीत” मेरी ‘जिद’ है,और जिद का मै बादशाह हूँ…!
भूख मिटाने की खातिर,
हमने सपने बेच दिये…?
मुझे अपने किरदार पे इतना तो यकिन है,
कोई मुझे छोड तो सकता है मगर भुला नही सकता…!
कभी खामोश बैठोगे कभी कुछ गुनगुनाओगे,
मै उतना याद आउगाँ जितना तुम मुझे भुलाओगे