खुदा तु भी

खुदा तु भी कारीगर निकला..
खीच दी दो-तीन लकीरों हाथों में..

ये भोला आदमी उसे
तकदीर समझ बैठा ।।।

मुद्दते गुजार दी

युँ तो मुद्दते गुजार दी है
हमने तेरे बगैर…

मगर,
आज भी तेरी यादों का एक झोंका
मुझे टुकड़ो मे बिखेर
देता है..

पानी फेर दो

पानी फेर दो इन पन्नों पर.ताकि धुल जाए स्याही ,,
जिंदगी फिर से लिखने का मन करता है कभी -कभी ..