बड़ी मुश्किल से सुलाया है ख़ुद को मैंने,
अपनी आंखों को तेरे ख़्वाब क़ा लालच देकर..
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
बड़ी मुश्किल से सुलाया है ख़ुद को मैंने,
अपनी आंखों को तेरे ख़्वाब क़ा लालच देकर..
वो बड़े ग़ौर से देखतें हैं , हमारी तस्वीर …..
शायद उसमें , जान डालने का इरादा है उनका …..!!
तेरे लहजे में लाख मिठास सही मगर….!
.
.
.
मुझे जहर लगता है तेरा औरों से बात करना….!!.
हम बुरे हैं हम भी मानते हैं मगर…
तुम कहते हो तो बुरा लगता है..
खुदा तु भी कारीगर निकला..
खीच दी दो-तीन लकीरों हाथों में..
ये भोला आदमी उसे
तकदीर समझ बैठा ।।।
यूँ तो मुद्दे और मसले बहुत हैं लिखने को मगर,कमबख्त उँगलियों को तेरा ही ज़िक्र अज़ीज़ है…!!!
युँ तो मुद्दते गुजार दी है
हमने तेरे बगैर…
मगर,
आज भी तेरी यादों का एक झोंका
मुझे टुकड़ो मे बिखेर
देता है..
पानी फेर दो इन पन्नों पर.ताकि धुल जाए स्याही ,,
जिंदगी फिर से लिखने का मन करता है कभी -कभी ..
कोई भी चीज़ ज़माने में न थी नामुमकिन…
बस इक तू ही है जिसे हम भुला ना पाए कभी
ये जमाना जल जाएगा किसी शोले कि तरह,
जब तेरे हाँथ कि उंगली में होगी मेरे नाम कि अंगूठी.!