इतने ठंडे क्यों हो

किसी ने घड़े से पूछा, कि तुम इतने ठंडे क्यों हो. …..

अति अर्थ पूर्ण उत्तर था घड़े का ;

जिसका अतीत भी मिट्टी,

और भविष्य भी मिट्टी, उसे गर्मी किस बात पर होगी. …….!!!

लाखों ठोकरों के बाद

लाखों ठोकरों के बाद भी संभलता रहूँगा मैं..
गिरकर फिर उठूँगा, और चलता रहूँगा मैं…
गृह-नक्षत्र जो भी चाहें लिखें कुंडली में मेरी..
मेहनत से अपना नसीब बदलता रहूँगा मैं…

बडा अजीब सा

बडा अजीब सा खौफ़ था उस शेर की
आंखों मे.,

जिसने जंगल मे हमारे जुतों के निशान देखे…!!!!

बीता हुआ कल

बीता हुआ कल जा चुका है, उसकी मीठी याद में ही खुश हूँ
आने वाले कल का पता नहीं, इंतजार में ही खुश हूँ

जिन्दगी में गम है

किसी ने गालिब से पुछा
कैसे हो ?
गालिब ने हंस कर कहा-

जिन्दगी में गम है,
गम में दर्द है,
दर्द में मज़ा है. .
और ..

मजे में हम हैं ।