यों ही बदनाम

लोग यों ही बदनाम करते हैं ज़रूरतमंदों को,
हमने अक्सर अमीरों को गरीबो की मेहनत चुराते देखा हैं।

तेरे दिल मे

कोई तो बात हैं तेरे दिल मे, जो इतनी गहरी हैं कि…
तेरी हँसी, तेरी आँखों तक नहीं पहुँचती…

दिन मेँ रौशनदान

उसने अपनी झोपड़ी का छप्पर कुछ इस प्रकार खोल रखा है…
कि यही दिन मेँ रौशनदान और रात मेँ उसका पंखा है…

ना दिल से होता है

ना दिल से होता है, ना दिमाग से होता है;
ये प्यार तो इत्तेफ़ाक़ से होता है;

पर प्यार करके प्यार ही मिले;
ये इत्तेफ़ाक़ भी किसी-किसी के साथ होता है।

भले थे तो

भले थे तो किसी ने हाल त़क नहीं पूछा,

बुरे बनते ही देखा हर तरफ अपने ही चरचे हैं !!!