दुनिया की इस रीत में सारे हैं मुसाफ़िर
कल आए थे-कुछ आज, तो कुछ लोग कल गए
Tag: वक्त शायरी
मां की आंखो मे
कल अपने आप को देखा था मां की आंखो मे,
यह आईना मुझको बुढा नहीं बताता है..
तक़्दीर की बुलन्दी
तक़्दीर की बुलन्दी भी लोगों को खल गयी
निकला ज़रूर दम, मगर अरमाँ निकल गए
दिल में रहा
दिल में रहा न जोश तो दिल-दिल नहीं रहे
वो दिल ही क्या जो अक़्ल के हाथों सँभल गए
उम्र क्या ढली
माचिस की तीलियों की तरह उम्र क्या ढली
सब जात-पाँत ख़ाक़ की सूरत में ढल गए
धडकनों को कुछ
धडकनों को कुछ तो काबू में कर ए
दिल
अभी तो पलकें झुकाई है
मुस्कुराना अभी बाकी है उनका..
मैं कुछ कहूँ
मैं कुछ कहूँ और तेरा……… जिक्र न आये
उफ़्फ़…… ये तो तौहीन होगी तेरे फरेब की..
jahan ke gunehgar
Humne ishq kia to jahan ke gunehgar ho gaye..
Or wo dil tod ke jaise farista ho gaya..!
खफा होने का असर
तेरा मुझसे खफा होने का असर कुछ युँ हुआ मुझपर,
मुझे खुद से ही खफा रहने की आदत सी हो गई..!
जीना मुहाल था
जिनके बिना इक दिन कभी जीना मुहाल था
ता’ज्जुब है कि अब उनकी याद तक नहीं आती