उन्हे कोई और भी चाहे..
इस बात से हम थोङा- थोङा जलते हैं…!
ग़ुरुर है हमें इस बात पर..कि
सब हमारी पसंद पर ही क्यूँ मरते हैं|
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
उन्हे कोई और भी चाहे..
इस बात से हम थोङा- थोङा जलते हैं…!
ग़ुरुर है हमें इस बात पर..कि
सब हमारी पसंद पर ही क्यूँ मरते हैं|
चेहरा पढ़ कर मेरा
आज आयना भी
पूछता है मुझसे ये सवाल
तू कल फिर नहीं
सोया रात भर..
छत टपकती है उसके कच्चे घर की,
वो किसान फिर भी बारिश की दुआ करता है
ख़्वाहिशों का काफिला भी अजीब ही है ,
अक्सर
वहीँ से गुज़रता है जहाँ रास्ता न हो .
वोह कबसे तलवार लिये मेरे पीछे भाग रही है…
मैने तो मजाक मै कहा था की…
दिल चीर के दैख… तेरा ही नाम होगा..
हम तो फना हो गए उनकी आँखे देखकर ग़ालिब
ना जाने वो आइना कैसे देखती होंगी !
तड़प के देखो किसी की चाहत में;
तो पता चले कि इंतज़ार क्या होता है;
यूँ ही मिल जाये अगर कोई बिना तड़पे;
तो कैसे पता चले के प्यार क्या होता है|
ला तेरे पेरों पर मरहम लगा दूं…
कुछ चोट तो तुझे भी आई होगी
मेरे दिल को ठोकर मार कर..
ज़िन्दगी का फ़लसफ़ा भी कितना अजीब
है,
शामें कटती नहीं, और साल गुज़रते चले
जा रहे हैं….!!
लिखते रहे हैं तुम्हे रोज ही
मगर ख्वाहिशों के ख़त कभी भेजे
ही नही!