ज़िंदगी जिनसे हो ख़फ़ा, उनसे रूठ जाती है मौत भी शायद ….
Tag: वक्त शायरी
बिना तेरे राते
बिना तेरे राते क्यों लम्बी लगतीं है …!
कभी तेरा ग़ुस्सा तेरी बातें , क्यों अच्छी लगती है …!
हमसे मोहब्बत का दिखावा
हमसे मोहब्बत का दिखावा न किया कर…
हमे मालुम है तेरे वफा की डिगरी फर्जी है
मेरे बस में हो
मेरे बस में हो तो लहरों को इतना भी हक न दूं,
लिखूं नाम तेरा किनारे पर लहरों को छुने तक ना दूं।
दिल तुम्हारी तरफ
दिल तुम्हारी तरफ कुछ यूँ झुका सा जाता है..
किसी बेइमान बनिए का तराज़ू हो जैसा..
तूने मेरी मोहब्बत की
तूने मेरी मोहब्बतकी इंतेहा को समझा ही नहीं..
तेरे बदन से दुपट्टा भी सरकता था तो हम अपनी निगाह झुका लेते थे..
कुछ जख़्मों की
कुछ जख़्मों की कोई उम्र नही होती…साहेब
ताउम्र साथ चलते है ज़िस्म के ख़ाक होने तक…….
फांसलो का अहेसास
फांसलो का अहेसास तो तब हुआ,
जब मैंने कहा मैं ठीक हूँ और उसने मान लिया !!
रो पड़ा वो शक्स
रो पड़ा वो शक्स आज अलविदा कहते-कहते,
जो कभी मेरी शरारतो पर देता था धमकियाँ जुदाई की !!
जिस नजाकत से…
जिस नजाकत से…
ये लहरें मेरे पैरों को छूती हैं..
यकीन नहीं होता…
इन्होने कभी कश्तियाँ डुबोई होंगी…