तूने मेरी मोहब्बत की गहराईयों को समझा ही नहीं ऐ सनम..!
तेरे बदन से जब दुपट्टा सरकता था तो हम “अपनी” नज़रे झुका लेते थे..!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
तूने मेरी मोहब्बत की गहराईयों को समझा ही नहीं ऐ सनम..!
तेरे बदन से जब दुपट्टा सरकता था तो हम “अपनी” नज़रे झुका लेते थे..!
हजारों शेर मेरे सो गये कागज की कब्रों में
अजब पिता हूँ कोई बच्चा मेरा ज़िन्दा नहीं रहता|
मेरी आवारगी में कुछ क़सूर अब तुम्हारा भी है,
जब तुम्हारी याद आती है तो घर अच्छा नहीं लगता।
नींद आँखों में लिये, सुस्त पड़ी है कागज पर,
थकान लफ्ज़ों की मेरे, उतरी नहीं अब तक…
सितारों की फसलें उगा ना सका कोई
मेरी ज़मीं पे कितने ही आसमान रहे |
करवट बदलने का क्या फायदा,
इस तरफ भी तुम, उस तरफ भी तुम……
वो लम्हा ज़िन्दगी का बड़ा
अनमोल होता है जब तेरी यादें, तेरी बातें , तेरा
माहौल होता है
करनी है खुदा से गुजारिश तेरी दोस्ती के सिवा कोई बंदगी न मिले
हर जनम में मिले दोस्त तेरे जैसा या फिर कभी जिंदगी न मिले !!
जिनके दिल पे लगती है चोट
वो आँखों से नही रोते.
जो अपनो के ना हुए, किसी के नही होते,
मेरे हालातों ने मुझे ये सिखाया है,
की सपने टूट जाते हैं
पर पूरे नही होते.
“मकान बन जाते है कुछ हफ्तों में,
ये पैसा कुछ ऐसा है…और घर टूट जाते है चंद पलो में, ये पैसा ही कुछ ऐसा है..।।