उसके तेवर समझना भी
आसां नहीं बात औरों की थी,
हम निगाहों में थे
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
उसके तेवर समझना भी
आसां नहीं बात औरों की थी,
हम निगाहों में थे
क्यों बताये किसी को हाले दिल अपना,
जो तूने बनाया वही हाल है अपना ।।
तेरा अक्सर यूँ भूल जाना मुझको
अगर दिल ना दिया होता तो तेरी जान ले लेते…!!
एक रूह है..
जैसे जाग रही है.. एक उम्र से… ।एक जिस्म है..
सो जाता है बिस्तर पर.. चादर की तरह… ।।
अगर फुर्सत के लम्हों मे आप मुझे याद करते हो तो अब मत करना..
क्योकि मे तन्हा जरूर हुँ, मगर फिजूल बिल्कुल नही.
दर्द बहुत वफ़ादार होता है…
काश इसे देने वाले में भी ये बात होती…
क्या पूछता है हम से तू ऐ शोख़ सितमगर,
जो तू ने किए हम पे सितम कह नहीं सकते…
जीत रहा हूँ लाखो लोगो का दिल ये शायरी
करके
लेकिन लोगो को क्या पता अंदर से कितना
अकेला हूँ|
दुआएं रद्द नही होती
बस बेहतरीन वक्त पे कबूल होती है…..
लालच दोनो का था…एक-दुसरे से..
उसने वक्त बिताना चाहा और मैंने जिन्दगी..