अभी तक, याद कर रहे हो पागल;
उसने तो तेरे बाद भी, हज़ारों भुला दिए!
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अभागे क्षणों की समीक्षा
उन अभागे क्षणों की समीक्षा न हो
आँख जब इक उदासी का घर हो गयी
चुप रहे हम सदा कुछ न बोले कभी
चुप्पियाँ फिर गुनाहों का स्वर हो गयी
न्याय का कब कोई एक आधार है
यातना हर घड़ी
याचना जन्मभर ।
…
देह वनवास को सौंपकर वो चला
चित्त घर की दिशा
शेष जाने किधर ।
मोहब्बत हो ज़रूरी तो नहीं
उस को भी हम से मोहब्बत हो ज़रूरी तो नहीं…
इश्क़ ही इश्क़ की क़ीमत हो ज़रूरी तो नहीं…..
हमारी कदर नही करते
लोग उस वक्त हमारी कदर
नही करते…
जब हम अकेले होते हैं…
लोग उस वक्त हमारी कदर करते हैं…
जब वो अकेले होते हैं….
इंसान नहीं टूटता
हारने के बाद इंसान नहीं टूटता…..
हारने के बाद लोगों का रवय्या
उसे टूटने पर मज़बुर करता है…
याद आते है वो पल
बहुत याद आते है वो पल जिसमे
आप हमारे और हम तुम्हारे थे |
शेष रहना चाहिये
सार मेरी साधना का शेष रहना चाहिये,
मैं भले ही मिट जाऊँ, मगर मेरा देश रहना चाहिये….
अंजामे वफ़ा ये है
अंजामे वफ़ा ये है जिसने भी मोहब्बत की,
मरने की दुआ मांगी, जीने की सज़ा पाई..
अच्छे नही लगते
ये भी अच्छा है कि हम किसी को अच्छे नही लगते …
कम से कम
कोई रोएगा तो नही मेरे मरने पर ..
आखिर कब तक
आखिर कब तक इन्तजार करूं मैं तुम्हारा ,
मैं आशिक हूँ ,धरने पर बैठा कोई सुनार नही |