सबूतों और गवाहों की साहब… यहाँ सेल नहीं होती,
आपने जुर्म-ए-मोहब्बत किया है, इसमें बेल नहीं होती।
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
सबूतों और गवाहों की साहब… यहाँ सेल नहीं होती,
आपने जुर्म-ए-मोहब्बत किया है, इसमें बेल नहीं होती।
शाख़ें रहीं तो फूल और पत्ते भी ज़रूर आयेंगे…
ये दिन अगर बुरे हैं तो अच्छे भी ज़रूर आयेंगे…!!!
जरा देखो तो ये दरवाजे पर दस्तक किसने दी है,
अगर ‘इश्क’ हो तो कहना, अब दिल यहाँ नही रहता..
कैसे ज़िंदा रहेगी तहज़ीब ज़रा सोचिये…..
पाठशाला से ज़्यादा तो मधुशाला है शहर में..
जिंदगी में बेशक हर मौके का फायदा उठाओ !!
मगर, किसी के भरोसे का फ़ायदा नहीं !!
बेजुबान पत्थर पे लदे है करोंडो के गहने मंदिरो में ।
उसी दहलीज पर एक रूपये को तरसते नन्हें हाथों को देखा है।
बेटियां मां की परछाईय़ाँ होती हैं….
और पापा का गरूर |
खाली हाथ लेके जब घर जाता हूँ मैं
मुस्कुरा देते हैं बच्चे और फिर से मर जाता हूँ मैं |
मुझे ज़िन्दगी जीने का ज्यादा तजुर्बा तो नहीं हैं
पर सुना है लोग सादगी से जीने नहीं देते |
मुझे तालीम दी है मेरी फितरत ने ये बचपन से …
कोई रोये तो आंसू पौंछ देना अपने दामन से