तकलीफों ने ऐसा तराशा है मुझको… हर गम के बाद ज्यादा चमकता हूँ..
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भुख लोरी गा गा कर
भुख लोरी गा गा कर, . जमीर को सुलाये रखती हैं…
सिलसिला खत्म क्यों करना
सिलसिला खत्म क्यों करना जारी रहने दो, इश्क़ में बाक़ी थोड़ी बहुत उधारी रहने दो…
वफा की बूंद में
वफा की बूंद में एक हरारत इश्क की थी….. मुफलिसी के दिन थे…. हाँ, मुहब्बत बेच दी अपनी….
सांसों में लोबान जलाना
सांसों में लोबान जलाना आखिर क्यों पल पल तेरी याद का आना आखिर क्यों…….
फिज़ूल हैं ना हम भी
कितने फिज़ूल हैं ना हम भी, देख तुझे याद तक नहीं आते..!!!
वक़्त का जहाज़
वो वक़्त का जहाज़ था करता लिहाज़ क्या मैं दोस्तों से हाथ मिलाने में रह गया |
दिल की दिवारो पर
फिर वार हुआ दिल की दिवारो पर… फिर ऐसे जख्म मिलें है कि हम मरहम ना ढुंढ पाए…
बेख़ौफ़ कहाँ आसान था
उड़ना…. बेख़ौफ़ कहाँ आसान था…. मन तभी चिड़िया हुआ जब तू आसमान था ….!
एक एक पन्ना
एक एक पन्ना हर कोई बांट लेते है मतलब की… सुबह-सुबह मां घर में अखबार जैसे हो जाती है…